The Mysterious Secrets Of Kamakhya Temple : भारत में बहुत सारे मंदिर मौजूद हैं। जहां पर देवी देवताओं की मूर्ति की पूजा की जाती है। लेकिन कामाख्या देवी मंदिर एक ऐसा मंदिर है जहां पर देवी की योनि की पूजा की जाती है। महीना आने पर यहां स्थित नदी की पानी का रंग लाल हो जाता है।
जी हां आपने बिल्कुल सही समझा, हम कामाख्या देवी मंदिर (Kamakhya Devi Temple) के बारे में बात कर रहे हैं। तो क्या है इस मंदिर की सच्चाई? क्यों यहां पर दुनिया की सबसे अजीबो गरीब तरह से पूजा की जाती है। क्या वाकई में इस मंदिर में कई सारे रहस्य छुपे हैं और आखिरी इस मंदिर में लाखों अघोरी काली शक्तियों की पूजा क्यों करते हैं? आज के इस आर्टिकल में सभी जानकारी आपको कामाख्या देवी मंदिर (Kamakhya Devi Mandir) के बारे में बताई जाएगी।
The Mysterious Secrets Of Kamakhya Temple
असम की राजधानी दिसपुर से लगभग 7 किलोमीटर दूरी स्थित एक ऐसा मंदिर है जहां पर साल में एक बार दुनिया भर के तांत्रिक और अघोरी इकट्ठा होते हैं। आपको बता दे की दिसपुर से लगभग 7 किलोमीटर दूरी स्थित नीलांचल पर्वत पर मां भगवती कामाख्या देवी का सिद्ध शक्तिपीठ मौजूद है। यह मंदिर सती के 51 शक्तिपीठों में से सबसे ऊंचा स्थान रखता है। क्योंकि यहीं पर माता भगवती का महामुद्रा यानी की योनि कुंड स्थित है।
माता कामाख्या मंदिर से जुड़े दो तरह की कहानियां प्रचलित है।
माता कामाख्या देवी मंदिर (Kamakhya Temple) बहुत ही पवित्र मंदिर माना जाता है। ऐसे में जब भारत में कोई प्राचीन मंदिर की बात आती है तो उससे जुड़ी कहानियां मौजूद होती है। ऐसे में माता कामाख्या मंदिर से भी जुड़े दो तरह की कहानी बहुत ज्यादा प्रचलित है।
एक तरफ तो यह कहा जाता है कि यह वही जगह है जहां माता सती का भगवान शंकर के साथ कुछ प्रेम भरे पल बिताए थे। इसके अलावा दूसरी कहानी प्रचलित के अनुसार जब भगवान शिव के द्वारा माता सती को जब गोद में उठाए थे तो उनके शरीर के हर एक टुकड़े दुनिया के अलग-अलग जगह पर गिरे। और जो योनि का हिस्सा था वह नीलांचल पर्वत पर जाकर गिरा। इसके बाद यहां पर माता की योनि की पूजा की जाती है।
यहां पर हर साल एक अंबुबाची मेला लगता है और इस मेले में यहां स्थित ब्रह्मपुत्र नदी का पानी लाल होता प्रतीत नजर आता है। ऐसा कहा जाता है कि यह पानी जो लाल रंग का दिखाई देता है वह कामाख्या देवी के मासिक धर्म के कारण दिखाई देता है।
कामाख्या देवी मंदिर का काला जादू का सच
आपको बता दे की तंत्र साधना और अघोरियों के गढ़ माने जाने वाले कामाख्या देवी मंदिर का कहानी जितना रहस्यमय है उतना ही यहां का सबसे ज्यादा फेमस काला जादू है। यहां पर जितने भी साधु, संत, तांत्रिक एवं अघोरी रहते हैं वह काला जादू करने में माहिर होते हैं। कई लोग विवाह बच्चे धन और दूसरी इच्छाओं की पूर्ति लेकर कामाख्या देवी मंदिर की ओर रवाना होते हैं।
इस मंदिर की पौराणिक कथाओं के अनुसार कहा जाता है कि यहां पर जो तांत्रिक होते हैं वह बुरी शक्तियों को दूर करने में सक्षम होते हैं। हालांकि यह अघोरी अपनी काली शक्तियों का इस्तेमाल बहुत सोच समझकर करते हैं।
कामाख्या मंदिर में दिया जाता है पशुओं की बली
आपको बता दे की कामाख्या देवी मंदिर में पशुओं की बलि दी जाती है। भैंस और बकरी की बाली तो आम बात होती है लेकिन यहां पर किसी मादा जानवर का बाली नहीं दिया जाता है। इसके साथ ही मानता है की मां को प्रसन्न करने के लिए आप कन्या पूजन और भंडारा भी यहां पर कर सकते हैं जिससे आपकी हर एक मनोकामना पूरी होगी।
इस जगह को तंत्र साधना के नाम से भी जाना जाता है आपको बता दे की सबसे महत्वपूर्ण जगह कामाख्या देवी मंदिर साधुओं और अघोरियों का हमेशा तांता लगा रहता है।
कामाख्या देवी मंदिर का प्रसाद भी है बहुत निराला
आपको बता दे की कामाख्या देवी मंदिर में प्रसाद भी बहुत विचित्र तरह का दिया जाता है। यहां प्रसाद के रूप में आपको लाल रंग का गीला वस्त्र दिया जाता हैं। ऐसा कहा जाता है कि जब माता तीन दिनों तक रजस्वला होती है तब तो एक सफेद रंग का कपड़ा मंदिर के अंदर बिछा दिया जाता है। जब तीन दिनों के बाद मंदिर के दरवाजे खोले जाते हैं तब वह कपड़ा माता के रक्त से लाल रंग में भीगा हुआ होता है।
इसी कपड़ों के अंबुबाची वस्त्र कहा जाता है। और यही कपड़ा भक्तों के बीच बरसात के रूप में बांट दिया जाता है। जिसे अपने घर लाकर भक्त भगवान के पवित्र स्थान पर रख देते हैं क्योंकि इस कपड़े की बहुत ही ज्यादा मान्यता है ऐसा कहा जाता है कि यह कपड़ा जिसके पास होता है उसकी सारी तकलीफें खत्म हो जाती है। माता का आशीर्वाद स्वयं उसे भक्त के ऊपर होता है। इसी दौरान यहां पर अंबुबाची मेला भी लगता है। जहां पर लोग बड़े मजे से मेले का आनंद उठाते हैं।
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